KAB OR KAISE HUA SHIMLA SAMJHOTA ????????

KAB OR KAISE HUA SHIMLA SAMJHOTA ????????

इतिहास

SHIMLA SAMJHOTA की नीव :

जुलफिकार अली भुट्टो ने 20 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति का पदभार संभाला। सत्ता संभालते ही भुट्टो ने यह वादा किया कि वह शीघ्र ही बांग्लादेश को फिर से पाकिस्तान में शामिल करवा लेंगे

1971 का भारत-पाक युद्ध के बाद भारत के शिमला में एक सन्धि पर हस्ताक्षर हुए।[2] इसे SHIMLA SAMJHOTA कहते हैं। इसमें भारत की तरफ से इन्दिरा गांधी और पाकिस्तान की तरफ से ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो शामिल थे। यह समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच दिसम्बर 1971 में हुई लड़ाई के बाद किया गया था

कई महीने तक चलने वाली राजनीतिक-स्तर की बातचीत के बाद जून 1972 के अंत में शिमला में भारत-पाकिस्तान शिखर बैठक हुई। इंदिरा गांधी और भुट्टो ने अपने उच्चस्तरीय मन्त्रियों और अधिकारियों के साथ उन सभी विषयों पर चर्चा की जो 1971 के युद्ध से उत्पन्न हुए थे।

साथ ही उन्होंने दोनों देशों के अन्य प्रश्नों पर भी बातचीत की। इन में कुछ प्रमुख विषय थे युद्ध बन्दियों की अदला-बदली, पाकिस्तान द्वारा बांग्लादेश को मान्यता का प्रश्न, भारत और पाकिस्तान के राजनयिक सम्बन्धों को सामान्य बनाना, व्यापार फिर से शुरू करना और कश्मीर में नियन्त्रण रेखा स्थापित करना।

लम्बी बातचीत के बाद भुट्टो इस बात के लिए सहमत हुए कि भारत-पाकिस्तान सम्बन्धों को केवल द्विपक्षीय बातचीत से तय किया जाएगा। SHIMLA SAMJHOTA के अन्त में एक समझौते पर इन्दिरा गांधी और भुट्टो ने हस्ताक्षर किए।

SHIMLA SAMJHOTA के प्रावधान निम्न्तः है।

यह समझौता करने के लिए पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमन्त्री ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो अपनी पुत्री बेनज़ीर भुट्टो के साथ 28 जून 1972 को शिमला पधारे। 28 जून से 1 जुलाई तक दोनों पक्षों में कई दौर की वार्ता हुई परन्तु किसी समझौते पर नहीं पहुँच सके।तभी अचानक 2 जुलाई को लंच से पहले ही दोनों पक्षों में समझौता हो गया,

इस SHIMLA SAMJHOTAपर पाकिस्तान की ओर से भुट्टो और भारत की ओर से इन्दिरा गांधी ने हस्ताक्षर किये थे। । अपना सब कुछ लेकर पाकिस्तान ने एक झूठा आश्वासन भारत को दिया कि भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर सहित जितने भी विवाद हैं,

उनका समाधान आपसी बातचीत से ही किया जाएगा और उन्हें अन्तरराष्ट्रीय मंचों पर नहीं उठाया जाएगा। पाकिस्तान ने सैकड़ों बार उल्लंघन किया है और कश्मीर विवाद को अनेक बार अन्तरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया है। इस समझौते में भारत और पाकिस्तान के बीच यह भी तय हुआ था

कि 17 दिसम्बर 1971 अर्थात पाकिस्तानी सेनाओं के आत्मसमर्पण के बाद दोनों देशों की सेनायें जिस स्थिति में थीं, उस रेखा को ”वास्तविक नियन्त्रण रेखा“ माना जाएगा और कोई भी पक्ष अपनी ओर से इस रेखा को बदलने या उसका उल्लंघन करने की कोशिश नहीं करेगा।

लेकिन पाकिस्तान अपने इस वचन पर भी टिका नहीं रहा। सब जानते हैं कि 1999 में कारगिल में पाकिस्तानी सेना ने जानबूझकर घुसपैठ की और इस कारण भारत को कारगिल में युद्ध लड़ना पड़ा।

SHIMLA SAMJHOTA में तैय हुआ की दोनों देश सभी विवादों और समस्याओं के शान्तिपूर्ण समाधान के लिए सीधी बातचीत करेंगे और किसी भी स्थिति में एकतरफा कार्यवाही करके कोई परिवर्तन नहीं करेंगे।
वे एक दूसरे के विरूद्घ न तो बल प्रयोग करेंगे, न प्रादेशिक अखण्डता की अवेहलना करेंगे और न ही एक दूसरे की राजनीतिक स्वतंत्रता में कोई हस्तक्षेप करेंगे।

स्थाई शान्ति के हित में दोनों सरकारें इस बात के लिए सहमत हुई कि।

  1. भारत और पाकिस्तान दोनों की सेनाएँ अपने-अपने प्रदेशों में वापस चली जाएँगी।
  2. दोनों देशों ने 17 सितम्बर 1971 की युद्ध विराम रेखा को नियन्त्रण रेखा के रूप में मान्यता दी
  3. यह तय हुआ कि इस SHIMLA SAMJHOTA के बीस दिन के अन्दर सेनाएँ अपनी-अपनी सीमा से पीछे चली जाएँगी।
  4. यह तय किया गया कि भविष्य में दोनों सरकारों के अध्यक्ष मिलते रहेंगे और इस बीच अपने सम्बन्ध सामान्य बनाने के लिए दोनों देशों के अधिकारी बातचीत करते रहेंगे।

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